हैट्रिक लगाने की आस में हाट सीट बन गई चंदौली…-खिला कमल तो कहीं साइकिल ने पकड़ी रफ्तार…

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हाथी की रही सुस्त चाल-कोई भाजपा तो कोई आइएनडीआइए संग बसपा की जीत का दावा करता दिखा

चंदौली : संसदीय सीट पर आइएनडीआइए गठबंधन की ओर से पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को चुनावी मैदान में उतारने के दांव और भाजपा के हैट्रिक की आस ने चंदौली को हाट सीट बना दिया है। शनिवार को सुबह सात बजे से ही मतदाता अपना जनप्रतिनिधि चुनने के लिए बूूथों पर निकलने लगे। विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी, पार्टी, मुद्दों और जातीय समीकरणों के आधार पर मतदाताओं की बूथों पर कतार लग गई। कतार में लगे मतदाताओं में कोई भाजपा तो कोई आइएनडीआइए संग बसपा की जीत का दावा करता दिखा।मतदाताओं में कमल खिलाने का जोर देखने को मिला तो आइएनडीआइए समर्थित चुनाव निशान साइकिल को लाेकसभा में स्थापित करने को कतार लगी रही। हाथी चला जरूर, लेकिन उसकी चाल सुस्त रही। सुबह नौ से 11.45 बजे तक 1868 बूथों पर मतदाताओं की कतार लगी रही और मतदान 32.09 प्रतिशत तक हो चुका था। इसके बाद सूरज ने आंख तरेरी तो मतदान की रफ्तार कम पड़ने लगी। कुछ बूथों पर सन्नाटा पसर गया तो कुछ पर मतदाताओं की उपस्थिति बनी रही। शाम होने से पहले बूथों पर सुबह जैसी कतार लग गईं। बुजुर्ग, किसान, नौजवान, युवाओं के अपने मुद्दे थे और उसी को अपने जेहन में रखकर वह वह मत देने पहुंचे थे।

-लोकसभा सीट पर मिला जुला रुझानलोकसभा सीट पर भाजपा और आइएनडीआइए गठबंधन का मिला जुला रुझान देखने को मिला। कुछ स्थानों पर मुस्लिम महिलाएं जहां भाजपा के पक्ष में दिखी तो अधिकांश जगह आइएनडीआइए का समर्थन कर रही थीं। हालांकि बसपा का परंपरागत वोट बूथों पर सुबह से ही डटा रहा। क्षेत्र के कस्बा, बाजार की स्थिति भी रोचक रही। मुस्लिम महिला मतदाताओं में भाजपा के प्रति प्रेम झलका तो आइएनडीआइए के प्रति झुकाव देखने को मिला। कुछ बसपा के समर्थन में बोलती नजर आईं। ग्रामीण क्षेत्रों में जातीय समीकरण का बोलबाला रहा। सामान्य मतदाता भाजपा के साथ खड़ा था तो पिछडे वर्ग की कुछ जातियां सहयोग करती नजर आईं।

मुकाबला रहेगा रोचक

मतदान के दौरान जैसी स्थिति उभरी है उससे लग रहा कि भाजपा और आइएनडीआइए प्रत्याशी के बीच मुकाबला रोचक है। तीनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा कहीं बीस तो कहीं आइएनडीआइए का पलड़ा भारी रहा। हालांकि पिछड़े और अनुसूचित वर्ग के वोटों पर सभी कि निगाहें टिकी हुई हैं। ऐसे में चुनावी समीकरण बैठाने वाले भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं।

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