BREAKING NEWS क्लर्क ने रेल कर्मियों के खाते बदलकर की करोड़ों की हेराफेरी

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चंदौली पुलिस लाइन सभागार में पकड़े गए आरोपों के बारे में जानकारी देते एसपी डॉक्टर अनिल कुमार व अन्य

प्रारंभिक जांच में 38 कर्मियों से 3.62 करोड़ की हुई हेराफेरी
-आरपीएफ सिपाही के पीएफ का पैसा फंसा तो खुला मामला

चंदौली : रेलवे कर्मियों के एकाउंट से छेड़छाड़ कर उसकी जगह अपना व अपनी पत्नी का एकाउंट में रेल कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई की हेराफेरी करने वाले रेलवे विभाग के कर्मचारी युवराज सिंह को पुलिस ने मंगलवार की शाम गिरफ्तार कर लिया। बुधवार को पुलिस लाइन में पुलिस अधीक्षक डा अनिल कुमार ने मीडिया को जानकारी दी। प्रारंभिक जांच में 38 कर्मियों के 3.62 करोड़ की राशि के हेराफेरी की बात सामने आई है। उसकी गिरफ्तारी हरिशंकरपुर मोड़ से की गई। पुलिस ने उसका मोबाइल सर्विलांस पर रखा था और उसकी लोकेशन के आधार पर उसकी गिरफ्तारी हुई। पूर्व में उसका लोकेशन लखनऊ, कानपुर, बरेली, नोएडा में भी पाया गया था। आरपीएफ सिपाही के फंड का पैसा दूसरे के खाते में जाने से पूरा मामला पकड़ में आया। मुगलसराय पुलिस की ओर से मामले में और लोगों की संलिप्तता की जांच की जा रही है। आरोपित के पास से एक कार, एक प्रिंटर व दो मोबाइल बरामद की गई है।

आरपीएफ सिपाही का पैसा फंसा तो खुला राज
हरिनारायण राम सहायक सुरक्षा आयुक्त, रेलवे सुरक्षा बल पीडीडीयू नगर मुगलसराय की ओर से थाना मुगलसराय में बीते एक नवंबर 2023 को लिखित सूचना दी गई कि आरक्षी मोहम्मद मुजीब की ओर से पीएफ खाते से बीते 17 अक्टूबर को 92 हजार रुपया निकासी के लिए आवेदन बिलिंग क्लर्क को प्रार्थना पत्र दिया था। जो उसी दिन ही मुख्यालय हाजीपुर अग्रसारित हो गया और उक्त धनराशि आवंटित कर दी गई। जब पैसा मुजीब के खाते में नहीं आया तो 19 अक्टूबर को कार्यालय अधीक्षक के यहां से जानकारी की तो ज्ञात हुआ कि उक्त धनराशि 17 अक्टूबर को ही आवेदक के खाते में भेज दिया गया है, लेकिन आरोपित युवराज सिंह की ओर से मुजीब के खाते के स्थान पर अपनी पत्नी नीतू सिंह का खाता दर्ज किया गया था। इससे उक्त धनराशि उसकी पत्नी के खाते में चली गई और आरोपित अपनी पत्नी के खाते से मुजीब के खाते में पैसा ट्रांसफर नहीं कर पाया। बैंक से पे-स्लीप निकलवाने पर धनराशि के गबन की जानकारी हुई। इस आधार पर आरोपित के खिलाफ अभियोग पंजीकृत हुआ। अब तक की विवेचना में 36191217 रुपया आरोपित की ओर से अधिकारी व कर्मचारियों का अपने व अपने पत्नी के खाते में ट्रांसफर किया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस टीम ने मुकदमा अपराध संख्या 362/2023 धारा 409 भादवि थाना मुगलसराय में वांछित आरोपित युवराज सिंह निवासी ग्राम बेरी खेड़ा थाना साढ़ जिला कानपुर नगर हाल पता डीआरएम आफिस को मंगलवार की शाम हरिशंकरपुर मोड़ से गिरफ्तार कर लिया।


पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा

आरोपित युवराज सिंह ने बताया कि मैं 2006 में आरपीएफ में आरक्षी के पद पर नियुक्त हुआ था। बाद में मेडिकल अनफीट होने के कारण 2017 में क्लर्क के पद पर नियुक्त हो गया। मेरी ओर से क्लर्क के रूप में आरपीएफ के अधिकारी, कर्मचारियों का वेतन बनाया जाता था। मेरे सेक्सन में मेरे ऊपर एल दो, मुख्य कार्यालय अधीक्षक व एल तीन, सहायक सुरक्षा आयुक्त थे। जिनकी ओर से मेरे ओर से बनाए गए बिलों की जांच करने के बाद आंकिक शाखा में बिल जाता था। वहां भी एल वन अधिकारी, सहायक आंकिक एल दो अधिकारी सेक्शन आफिसर की ओर से चेक करने के बाद एल तीन अधिकारी, सहायक मंडल वित्त प्रबंधक की ओर से बिल को पास कर पेमेंट किया जाता था। इसके बाद संबंधित के खाते में पैसा चला जाता था।

एआइएमएस साफ्टवेयर में किया खेल
आरोपित ने बताया कि वर्ष 2016 में एआइएमएस (एकाउंटर इनफारमेशन मैनेजमेंट सिस्टम ) साफ्टवेयर आया। इसमें मैं किसी कर्मचारी का पैसा ज्यादा भरकर लगा देता था तो उसे कोई पकड़ नहीं पाता था और इसी सिस्टम के माध्यम से संबंधित कर्मचारी को खाते में अंकित खाता नंबर को बदलकर अपनी पत्नी या अपना खाता नंबर डाल देता था और वह पैसा हमारे व हमारी पत्नी के खाते में चला जाता था और जो संबंधित कर्मचारी की उचित धनराशि होती थी उसे अपने खाते से उसके खाते में ट्रांसफर कर देता था। हमारे ऊपर के अधिकारी इस बात को नहीं पकड़ पाते थे।

इस धन का उपयोग मेरी पत्नी व साढू़ मनोज कुमार गाड़ी, भूमि खरीदने व शराब के व्यवसाय व अन्य कार्य में करते थे। हाईकोर्ट का फर्जी आदेश बनाकर मेरी ओर से आठ अधिकारी व कर्मचारी का दो करोड़ रुपया पास करने की कार्रवाई की गई है। पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक दीन दयाल पांडेय, प्रभारी सर्विलांस श्यामजी यादव सहित अन्य पुलिस कर्मी शामिल हैं।

तीन घंटे की पूछताछ में वित्त विभाग के तीन कर्मियों के नाम उजागर
गमनकारी आरोपी युवराज सिंह से मंगलवार की रात कोतवाली में आरपीएफ टीम द्वारा हुई तीन घंटों पूछताछ में वित्त विभाग के शीर्ष के तीन अधिकारियों का नाम उजागर हुआ है। हालांकि आरपीएफ उन तीन नाम का अभी खुलासा नहीं कर रही है। कहना है कि अगर यह नाम उजागर कर दिए गया तो साक्ष्य संकलन में काफी कठिनाई होगी। इस पूरे प्रकरण की विवेचना आरपीएफ कमांडेंट जितिन बी राज खुद कर रहे हैं। आरपीएफ की विवेचना के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी और उसकी रिपोर्ट हाजीपुर मुख्यालय से लेकर रेलवे बोर्ड को सौंपी जाएगी।


बैंक अकाउंट से हेराफरी, नगद होता था बंटवारा

रेल कर्मचारियों के पीएफ, एरियर व वेतन को युवराज अपनी पत्नी के बैंक अकाउंट में जमा कर उसमें से नकद निकालता था। फिर वह इस राशि का बंटवारा गमन में साथ देने वाले वित्त विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों को नकद करता था। यह क्रम वह काफी दिनों से कर रहा था। मामला उजागर होने के बाद विभाग के कई लोग छुट्टियों पर भी चले गए हैं। इसकी भी जांच कराई जा रही है। अब युवराज के बयान के आधार पर उन लोगों के नाम सामने आएंगे, जिसको उसने नगद दिए थे।

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