-आरोपित श्याम बाबू को अदालत ने ठहराया दोषी
-फरक्का पश्चिम बंगाल से नोट लेकर जा रहा पूना




चंदौली : अपर जनपद व सत्र न्यायाधीश (द्वितीय) डा जया पाठक ने शनिवार को जाली नोटों की तस्करी के मामले में आरोपित श्याम बाबू को दोषी ठहराते हुए 10 वर्ष कारावास और 50 हजार रुपये अर्थ दंड से दंडित किया। अर्थ दंड की राशि न देने पर आरोपित को छह माह की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। मामला 12 जनवरी 2019 का है। अदालत में अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता शशि शंकर सिंह ने तर्क प्रस्तुत किया।
अभियोजन के कथानक अनुसार एटीएस लखनऊ से काफी दिनों से भारतीय जाली मुद्रा के बांग्लादेश से मालदा के रास्ते पुणे व मुंबई में आपूर्ति की सूचना आ रही थी। पुलिस को जानकारी मिली कि 12 जनवरी 2019 को एक व्यक्ति मालदा से नकली भारतीय मुद्रा लेकर पं दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन होते हुए पुणे महाराष्ट्र को जाने वाला है। निरीक्षक शैलेश त्रिपाठी हमराहियों के साथ हनुमान मंदिर सुभाष नगर के समीप व्यक्ति का इंतजार करने लगे। थोड़ी देर में रेलवे रौजा कालोनी की ओर से वह व्यक्ति आता दिखाई दिया पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम श्याम बाबू कुमार निवासी रामनगर, जिला पटना (बिहार) बताया। तलाशी में उसके जेब से तीन गड्डियों में से दो हजार के नोट बरामद हुए। नोटों का भौतिक निरीक्षण किया गया तो भारतीय जाली मुद्रा पाई गई, जो भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी की गई दो हजार की मुद्रा से मिलती जुलती थी। आरोपित ने बताया कि मैं इसे लेकर पूना जाने वाला था। नोटों को मैं फरक्का पश्चिम बंगाल से राहुल के बताए आदमी से लेकर आ रहा हूं। बरामद रुपयों की गणना की गई तो कुल 260 नोट दो हजार की पाई गई, जिसका योग 5,20000 (पांच लाख बीस हजार रुपये) था। अदालत ने आरोपित को दोषी पाते हुए आइपीसी की धारा 489 ख, भारतीय दंड विधान के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।